अदालतों से सूचना मांगने की रुपये दस से अधिक फीस रखना नियम संगत नहीं कहा जा सकता
19 Apr, 2014Comment: सूचना का अधिकार कानून की धारा २८ मे सक्षम अधिकारी को नियम बनाने की शक्ति दी गयी है किन्तु इस धर के बिंदु २ मे ये भी आदेशित है कि इस कानून की शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना नियमो को उपबन्ध किया जा सकेगा| इस हिसाब से अदालतों से सूचना मांगने की रुपये दस से अधिक फीस रखना किसी भी प्रकार से नियम संगत नहीं कहा जा सकता है| इलाहाबाद हाई कोर्ट की आर टी आई फीस का सुप्रीम कोर्ट मे चालित मामले को अब लखनऊ हाई कोर्ट बेंच मे भेज दिये गया है अब उसमे सुनवाई की तारीख ही नहीं लग रही है| ये तो तानाशाही रवैया है और सूचना देने से इंकार भी है, इस असंगत फीस से इस कानून की व्यापकता प्रभवित हो रही है| सूचना मांगने की नियत से अधिक फीस कोई आदमी किसी मजबूरी बस ही दे सकता|अदालत का काम लोगो को न्याय दिलाना है तो वह जनता को फीस बड़ा कर सूचना मागने से कैसे रोक सकती है ये मुकदमा कोई और कैसे चालित है, ये कानून बड़ा है या अदालत का वह अधिकारी जिसने इस प्रकार नियम तोड़ कर अधिक फीस नियत की है और सरकार ने कैसे इसकी अधिसूचना जारी कर दी
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